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भटकती आत्मा और मुक्ति का प्रयास | Real Ghost Story


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भूत प्रेत घटनाएँ स्टोरीज के इस मंच पर आप सभी पाठको का फिर से स्वागत है दोस्तों,, मैं आभार व्यक्त करता हूँ ब्लॉगर का जिन्होंने मेरी कहानियाँ आप तक पहुंचाने के लिए ये मंच उपलब्ध कराया,, आज का किस्सा भी मित्रो कुछ अजीब ही है| पर यहाँ पर कुछ देर रूककर हमें यह सोचना चाहिए क्या वास्तव में इन कहानियो में सच्चाई है या नहीं,, दोस्तों वैसे कहानी का मुख्य भाग को ही अगर ले तो हमे ये समझने में आसानी हो जायेगी की क्या इस तरह की घटनाएं किसी के भी जीवन में घटित हो सकती है या फिर सिर्फ ये मनोरंजन के लिए है, दोस्तों वैसे तो कहानियो में पात्र बदले जाते है पर कहानियो का मुख्य भाग ही उसकी आत्मा माना जाता है यहाँ पर भी कुछ ऐसा ही है|
आज की कहानी भी हर कहानी की तरह लेकिन आप सभी जानते है कि जीवन में कब क्या हो जाये इसका किसी को भी बिल्कुल अंदाज नहीं होता है अचानक से कुछ ऐसी परिस्थिति इंसान के सामने आ जाती है आगे पड़ने से पहले आप लोगो का इस कहनी के पात्रों से परिचय करवा देता हूँ उसके बाद आगे की कहानी को समझने में आपकी मदद होगी 
दोस्तों आज का किस्सा एक मिडिल क्लास फॅमिली का है इस परिवार में 4 सदस्य है जिनका परिचय में आपको कराता हूँ 1. आशा (पत्नी), 2.जीवनलाल(पति) 3. तन्नु (पुत्री) 4. ओम(पुत्र), यहाँ पर एक पात्र से और मिलाना चाऊंगा जो इस किस्से में मौजूद रहती है ,5. प्रेमलता (मौसी),
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 दोस्तों ये परिवार एक भविष्यनिधि संगठन द्वारा सुविधा के रूप में दिए गए मकान मे रहते थे, और 2 मंजिल पर इनका घर शिफ्ट था, ऐसा कहा जाता था, कॉलोनी के सभी क्वाटर जब नहीं बने थे तब यहाँ पर शमशान भूमि हुआ करती थी पर शहरो के विकास और सरकार की सुविधा के लिए इन भूमियो को भी नहीं छोड़ा जाता, शायद, आप मेरी इस बात से जरुर सहमत हो, इस कॉलोनी में जो लोग रहते थे उनका ऐसा मानना था कि इस बिल्डिंग के निर्माण के दौरान 3 श्रमिक मजदूरों की मृत्यु हो गई थी, जिसमे 2 पुरुष मजदूर, 1 महिला मजदूर शामिल थी, जो भी इस कॉलोनी में स्थानान्तरण होकर यहाँ शिफ्ट हुआ उन लोगो ने अक्सर इस चीज़ जिक्र किया कि यहाँ हमने 2 आदमी और 1 औरत को दूसरी वीरान पड़ी इमारतो में घूमते हुए देखा है और उस कॉलोनी का चौकिदार ने भी इसकी हांमी भरी की उसने कॉलोनी के पार्क और रोड जो की कॉलोनी के एक निश्चित क्षेत्र के अन्दर आती है वहाँ पर भी घूमते हुए देखा है, कुछ लोगो ने उनको वीरान पड़ी इमारतो की छतो पर घूमते हुए देखा है
दोस्तों अब इस किस्से पर आते है आशा जो अपने परिवार के साथ रहती थी वो जब से यहाँ अपने पति के साथ स्थानान्तरण होकर आई तब से उसको अजीब-2 चीजों के आभास होते थे वो जब इन का जिक्र करती तो परिवार के सब लोग उस पर हँसते की तुम्हारे मन के अन्दर यहाँ के किस्से सुन सुन कर वहम बैठ गया है दोस्तों,, किसी ने भी उसकी बात को नहीं माना ,दोस्तों बात भी सही है क्योंकि हमारे घर में हम अपने “इष्ट देवो” को पहले से स्थापित करते है, उसके बाद ही हम घर में अपना निवास स्थान बनाते है, अब दोस्तों इस तरह से सात आठ महीने बीत गए, फिर “श्राद्ध” के दिन शुरू हो गए, उसी समय के दौरान एक दिन आशा अपने घर में काम से थक कर आराम के लिए बालकनी में तख्ते पर आराम कर रही थी, उसकी नींद कुछ इस तरीके की थी की न तो वो सोई हुई थी न ही वो जागी हुई थी कहने का मतलब वो अपनी चेतन अवस्था में ही थी उसने अपना हाथ अपनी आँखों पर रख रखा था, तभी बार-2 उसने ये महसूस किया की कोंई पीछे से उसको आगे झुक-झुककर देखने की कोशिश कर रहा है और वो बार-बार चमक उठती थी आँखे खोलने पर उसने आस-पास देखा तो सब सुनसान था सब अपने-2 घरो में थे आप तो जानते ही है की अक्सर दिन के समय घरो में कम ही लोग रहते है और ज्यादातर तो कॉलोनी के क्षेत्र में ही ऐसा होता है सब सन्नाटा ही पसरा रहता है, फिर थोड़ी देर इधर-उधर देखने के बाद उसने कॉलोनी के नीचे-ऊपर भी देखा, पर उसे कुछ नहीं दिखा|
अब उन्ही “श्राद्ध” के दिनों में एक रात जब वो सो रही थी तो अचानक उसको बर्तनों के बजने की आवाज आई जब उसने उठकर किचन में देखा तो सभी चीज़े व्यवस्थित थी जाते वक्त उसको खिड़की से बाहर सामने सुनसान पड़ी इमारत में किसी के कूदने की आवाज़े आई, उसने अपने पति “जीवनलाल” को जगाया तो उसने भी इस चीज को सुना तब उसने किसी “बिल्ली के कूदने का कारण” बता उसे शांत करके वापस चलने को कहा, लेकिन उसी समय वहाँ पर नाल में उसने ऊपर आती एक औरत दिखाई दी और उन दोनों पति- पत्नी के रोंगटे तो तब खड़े हो गए जब उन्होंने देखा कि वो औरत 4 सिडियो को एक साथ इतनी तेजी से चढ़ रही थी जो कि एक अच्छे से अच्छा इंसान भी नहीं चढ़ सकता, वो औरत बिलकुल देहाती लग रही थी,|
वो दोनों पति पत्नी इतने डर गए की उन्होंने उनकी बड़ी बहन(प्रेमलता) जिसने “आशा” की शादी में एक माँ की पूरी भूमिका निभाई थी उनको बुला लिया,,
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गाँव से कुछ दिन साथ रहने के लिए, यहाँ में आपको इनसे थोड़ा परिचय करवाता हूँ इनकी मौसी ,एक दिलेर किस्म का व्यक्तित्व रखती है, और किसी से भी लोहा लेने की ताकत रखती है, कुछ दिन शांति से निकल गए, कुछ नहीं हुआ फिर एक दिन शाम को दिया-बत्ती के समय आशा खिड़की से सटे अपने बेड पर बैठी थी और उसका लड़का कुछ सवाल पूछने अपनी माँ आशा के कमरे में प्रवेश किया ही था की वो ज़ोरदार तरीके से डर गया और गिर गया, सभी ने उसको उठाया वो इतना डर गया की कुछ बोल भी नहीं पा रहा था उसकी सांस अटक रही थी, एक घंटे बाद काफी जतन करने के बाद जब वो नार्मल हुआ तो उसने घर वालो को बताया की उसने एक काली सी बूढी औरत को खिड़की से मम्मी को घूरते हुए देखा,उसका सिर सामान्य से थोड़ा बड़ा था, उसके बाल बिखरे हुए थे, सभी लोग एक-दुसरे की तरफ देखने लगे, लेकिन उनकी बड़ी बहिन ने सबको संभाल लिया और कहा उनके होते हुए वो किसी को भी नुकसान नहीं होने देगी, फिर कुछ दिन मामला शांत ही रहा, सबको लगा शायद “श्राद्ध” समय खराब होने की वजह से यहाँ का माहौल ऐसा बन गया था जिससे की सब थोड़े डरे हुए से थे लेकिन अब कुछ ऐसा महसूस नहीं हो रहा था, फिर उनकी मौसी ने अगले दिन जाने का विचार बनाया सभी लोगो ने कुछ दिन और साथ में रहने के लिए खूब मनाया तब उन्होंने खेत का अधुरा छोड़ कर आने से काफी काम बढ़ जाने के कारण नहीं रुकने का कारण बताया|
अब दोस्तों उसी शाम को साफ़ सफाई के लिए बिस्तरों को बालकोनी में रखा हुआ था तभी आशा का छोटा बेटे “ओम” को शरारत सूझी और वो टेबल पर पड़े बिस्तरों के ढेर के सबसे ऊपर जाकर बैठ गया ,संध्या बत्ती का समय हो रहा था, आशा और उसकी बड़ी बहिन दोनों आपस से बातें कर रही थी उसकीं बड़ी बहिन का मुंह उसके छोटे बेटे “ओम” की तरफ था, और आशा उलटी बैठी हुई थी अचानक उसकी बड़ी बहिन उठी और ओम का हाथ खीचकर उसे अपनी तरफ ले लिया आशा के पूछने पर की क्या हुआ तो उसने बताया की मैंने किसी की झलक महसूस करी अगर में जल्दी नही उठती तो वो उसको नीचे खेंच लेती |
सभी लोगों की हालत ऐसी हो गई जैसे काटो तो खून नहीं और होना भी स्वाभाविक सी बात थी कि अचानक से ऐसी स्थितियां बन गई जो आत्माएं परिवार के अलग-अलग लोगों को दिखती थी वह अब परिवार में साथ बैठे हुए लोगों में से किसी एक को अपना शिकार बनाने के लिए उतावली हो रही थी जब बात इतनी बढ़ गई तो मौसी को भी ना चाहते हुए वहां पर रुकना पड़ा और उसके बाद उन आत्माओं ने लोगों को धीरे-धीरे करके परेशान करना शुरू कर दिया अक्सर घर के लोगों का उन आत्माओं से सामना होता रहता था जब बात  हद से ज्यादा बढ़ गई तब जीवनलाल ने अपनी ऑफिस में अपनी ट्रांसफर की अर्जी लगाई लेकिन उसकी अर्जी रिजेक्ट हो गई ऐसे में अब उस घर में रहने के अलावा जीवनलाल के पास कोई विकल्प नहीं बचा था इधर मौसी गांव जाने के लिए बार-बार बोल रही थी पर ना चाहते हुए भी मौसी को वहां पर रुकना पड़ रहा था एक दिन अचानक शाम का समय था जीवन लाल की पत्नी आशा बालकोनी में बैठी हुई थी तो अचानक से लाइट चली गई आशा अपनी आंखों को बंद करके कुछ सोचने लगी और सोचते सोचते अचानक वह अपने अतीत में पहुंच गई आशा अपनी पुरानी समय को याद करके अपने मन में एक खुशी महसूस कर रही थी और उसे साथ ही दुख भी हो रहा था कि वह अपने पति के साथ यहां पर रहने के लिए आई जिसकी वजह से आशा के परिवार में आज यह हालत हो गई है कि पता नहीं लगता किस समय परिवार के किस सदस्य से बिछड़ना पड़ जाए
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अचानक से आशा के दिमाग में विचार आया की अगर इन आत्माओं की शांति के लिए पूजा और अनुष्ठान करवाया जाए तो शायद यह आत्माएं उनको मुक्ति मिल जाएगी और उनके परिवार भी खुशी से रह सकेगा यह सब सोचते सोचते अचानक से आशा को लगा कि कोई उसके पीछे खड़ा है जो उसकी मन के तारों को अपने तारों से जोड़ कर उसके दिमाग में चल रहे विचारों को सुन रहा है अचानक से आशा पीछे पलटकर देखती है तो उसको महसूस होता है कि एक औरत की आकृति उसके पीछे खड़ी है और आशा जैसे ही अंदर जाने के लिए भागती है उसकी चीख निकल जाती है चीख निकलने के साथ ही घर के अंदर के सदस्य दौड़कर बालकनी की तरफ आते हैं तब तक औरत का साया बोल बालकनी से कूदकर अचानक से लापता हो जाता है इसके बाद कई बार उस आत्मा ने आशा से संपर्क करने की कोशिश की एक दिन अचानक आशा ने यह बात मौसी को बता दी तो मौसी को भी लगा कि शायद आशा ठीक कह रही है
अगर इन आत्माओं की शांति के लिए पूजा अनुष्ठान करवाया जाए तो हो सकता है आत्माएं मुक्ति को प्राप्त हो जाएं मौसी ने यह बात जीवनलाल को बताई तो जीवन लाल को भी मौसी की बात अच्छी लगी फिर क्या होता है अगले दिन ही जीवन लाल ने इससे बात की और पूजा अनुष्ठान की जो भी सामग्री पंडित जी ने बताई तो जीवनलाल उसको बाजार से लेकर आ गया ठीक समय पर पंडित जी बी जीवनलाल के घर पर पहुंच गए और अपना पूजा अनुष्ठान का कार्यक्रम पंडित जी ने शुरू कर दिया परिवार के सारे सदस्य उस पूजा अनुष्ठान में बैठकर और पंडित जी ने उनको यह दायित्व दी की पूजा शुरू होने के बाद कोई भी इंसान अपनी जगह से खड़ा नहीं होगा अगर कोई इंसान अपनी जगह से खड़ा हो गया तो हो सकता है कि यह आत्माएं उस इंसान की जीवन को वहीं समाप्त कर दें पंडित जी ने जोर की ध्वनि के साथ अपने मंत्रों का जाप जो कर दिया थोड़ी देर जाप करने के बाद वह आत्माएं उस घर के अंदर आ गई और उस अनुष्ठान को बंद करवाने की भरपूर कोशिश करने लगी कभी रसोई के बर्तनों को गिराने लगे कभी परिवार के लोगों को डराने की कोशिश करने लगी
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जीवनलाल का बेटा और उसकी बेटी उम्र में छोटे थे तो यह सब देखकर वह बहुत ज्यादा डरने लग गई जीवन लाल का बेटा तो डर के मारे बेहोश जैसी हालत में पहुंच गया लेकिन वह अपनी जगह से नहीं पाया इधर पंडित जी पूरे जोर से मंत्रों का जाप कर रहे थे इधर बहुत माय अपने आप को मुक्त कराने के लिए भरपूर कोशिश कर रही थी लेकिन कहते हैं ना कि जब बात धर्म और अधर्म की होती है तो विजय हमेशा धर्म की होती है यहां पर भी वही हुआ एक समय इस पूजा अनुष्ठान में ऐसा आया की आत्माएं कमजोर पड़ना शुरू हो गई लेकिन पंडित जी ने दुगनी शक्ति के साथ मंत्रों का जाप चालू रखा और अंत में वह सारी की सारी आत्माएं मुक्ति को प्राप्त होने लगी लेकिन मुक्ति को प्राप्त होने से पहले वह आत्माएं जीवन लाल के परिवार के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हुए बोली 
हम यहां पर काफी समय से भटक रहे थे लेकिन किसी ने भी हमारी मुक्ति के बारे में नहीं सोचा आज आपने हमें भूत योनि से मुक्त करके हम पर बहुत बड़ा उपकार किया है काश हम आपको अपनी तरफ से कुछ दे पाती है लेकिन अफसोस कि हमारे पास कुछ भी नहीं है आपको देने के लिए और इतना कहने के बाद अचानक से सभी लोग देखते हैं कि उनके घर में एक सफेद सी रोशनी प्रकट होती है और एक बहुत भयंकर विस्फोट के साथ आत्माएं उस रोशनी में समा जाती है इसी के साथ ही यह कॉलोनी आत्माओं के साए से मुक्त हो जाती है और दूसरे दिन ही जीवन लाल की ट्रांसफर के आर्डर मिल जाते हैं जीवनलाल हंसी-खुशी वोटरों को लेकर अपने घर आता है और अपनी पत्नी आशा और मौसी को अपने ट्रांसफर की बात बताता है फुलोक सही सलामत उस जगह से अपनी नई ट्रांसफर की जगह पर पहुंच जाते हैं 
दोस्तों कमेंट करके जरूर बताइएगा यह कहानी आपको कैसी लगी उम्मीद करता हूं हर कहानी की तरह यह कहानी भी आपको पसंद आई होगी मिलते हैं आप लोगों से एक नई कहानी में तब तक के लिए आप लोग हमारे ब्लॉग पर विजिट करते रहिए
तो दोस्तों इस प्रकार हम यह देख सकते है की हमारे आसपास के वातावरण में कई ऐसी चीज़े होती है जिन पर हम विश्वास नहीं करते, लेकिन जब हम उससे दो- चार होते है तब हमको इन चीजों पर विश्वास करना पड़ता ह यदि आपने कभी ऐसा महसूस किया हो तो हमे जरुर बताये | आपके कमेंट हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है |

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