[Hindi Story] एक आत्मा से मुलाकात की कहानी
Hindi Story मैं आज मैं आपको एक ऐसे इंसान की रियल कहानी बताने जा रहा हूँ जिसे पढ़कर आप सोचने पर मजबूर हो जायेगें क्या किसी के साथ ऐसा भी हो सकता है
संजीव दिल्ली में ही शुरू से रहा था, जबकि उसका गांव भारत से सटे नेपाल (Nepal) देश के तराई में था। दिल्ली में जॉब करते करते वो थक सा गया था, तभी उसे 10 दिनों की छुट्टी मिली और उसने सोचा क्यों ना गांव घूम कर आया जाये, इसलिए वो गांव घूमने के लिए दिल्ली से निकल गया। नेपाल पहुँचते-पहुँचते उसे शाम हो गया और काफी अँधेरा भी हो गया था, उसने अपने गांव जाने का रास्ता, वहां खड़े एक आदमी से पूछा तो उस आदमी ने एक टूटी हुई रास्ते के तरफ इशारा कर दिया, उस रास्ते पर थोड़ी दूर चलने के बाद दोनों तरफ जंगल दिखाई पड़ रहा था,
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उसे समझ नहीं आ रहा था कि सारे जगह अच्छे सड़क बन गए, लेकिन आज भी उसके गांव जाने का रास्ता इतना खराब क्यों है? एक अदद सी सड़क नहीं बन पायी तो गांव का विकास क्या होगा? लेकिन चारो तरफ जंगल देख कर उसे अच्छा लग रहा था, क्योंकि दिल्ली में उसे सिर्फ इमारते देखने को मिलती थी, साफ़ हवा उसे लिए हुए काफी साल हो गए थे।
वो ज्यों-ज्यों आगे बढ़ रहा था, त्यों-त्यों रास्ता पगडण्डी में बदल रहा था और जंगल घने मिल रहे थे, चारो तरफ जंगल ही जंगल था, आदमी या घर का नामो-निशान नजर नहीं आ रहा था, अँधेरा भी बढ़ता जा रहा था, उसे लगा कहीं उस आदमी ने गलत रास्ता तो नहीं बता दिया, भला इस जंगल में कोई गांव कैसे हो सकता है, लेकिन अँधेरा बढ़ने की वजह से उसे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, उसकी समझ में कुछ नहीं आया तो,
वो उलटे पांव लौट गया और सोचा वापस सड़क पर जा कर पूछूंगा, या कहीं थोड़ी देर रुक कर कुछ खा-पी लूंगा, क्योंकि चलते-चलते उसे भूख-प्यास दोनों लग गयी थी। लेकिन अँधेरा बढ़ने की वजह से वो रास्ता भी भटक गया और जंगल में ही फस कर रह गया, क्या किया जाये, उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था, अब तो अजीब अजीब सी आवाज भी सुनाई देने लगी थी। पेड़ के पत्तो की झडझडाहट के साथ जानवरो की भी आवाज सुनाई देने लगी थी,
करे तो क्या करे? चारो तरफ अँधेरा छाया हुआ था। वो जंगल में गोल गोल घूम कर काफी थक चूका था, इसलिए उसने वहीं रुकने का मन बना लिया। सामने एक विशाल पीपल का पेड था, उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा, काफी कोशिश के बाद वो पीपल के पेड़ पर चढ़ गया और आराम करने लगे, तभी उसकी आँख लग गयी, लेकिन हलकी सी आवाज ने उसकी आँखें खोल दी,
आँखे खोली तो पाया एक खूबसूरत सी लड़की उसके सामने बैठी हुई है, संजीव ने उससे पूछा तुम कौन हो और यहाँ क्या कर रही हो? इस पर लड़की ने पूछा तुम कौन हो और मेरे घर में क्या कर रहे हो? संजीव ने कहा तुम्हारा घर कौन सा है? लड़की ने कहा ये पीपल का पेड़ ही मेरा घर है और तुम मेरे घर में आये हो? ये सुन कर संजीव कुछ देर के लिए डर गया, उसे लगा कि वो किसी आत्मा से बात कर रहा है या फिर भूत है। संजीव ने पूछा क्या तुम कोई आत्मा हो या भूत हो? इस पर लड़की जोर जोर से हंसने लगी और अपने सर को चारो तरफ घुमाते हुए पूछा, तुम्हे क्या लगता है। इसे देख कर संजीव की क्या हालत हुई और आगे उसके साथ क्या-क्या हुआ
एक आत्मा से मुलाकात की कहानी भाग 2
अब तक आपने पढ़ा की संजीव दिल्ली में जॉब करता है और छुटियों में घर जा रहा होता है। तभी शाम हो जाती है और उसे पीपल के पेड़ के पास एक लड़की खड़ी दिखती है। अब पढ़िए आगे।
संजीव के तो होश उड़ गए, उसे लगा अब क्या करू? चारो तरफ जंगल और अँधेरी रात वो जाये तो कहाँ जाये, ऊपर से एक पीपल के पेड़ पर उसके साथ भूतनी। तभी उसे वो आदमी नजर आया, जिसने उसे ये रास्ता बताया था, वो सोच ही रहा था की, उस आदमी से पूछे की उसने गलत रास्ता क्यों बताया, तभी वो आदमी भूतनी की तरफ हो कर बोला, बेटी तुमने शादी की जिद की थी, इसलिए तुम्हारे लिए इतना अच्छा लड़का ढूंढ कर लाया हूँ, पसंद आया क्या?
भूतनी ने बोला, हाँ ये लड़का बहुत अच्छा है, मैं इसी के साथ शादी करुँगी, शादी की तैयारी कीजिये। आज रात ही शादी होगी। संजीव का दिमाग काम करना बिलकुल बंद कर दिया, भला भूतनी के साथ शादी कैसे होगी? उसने डरते डरते हुए कहा, जल्दी क्या है? पहले हम दोनों एक दूसरे को जान ले, पहचान ले फिर शादी कर लेंगे। इस पर भूतनी ने कहा, शादी हो जाने के बाद हम दोनों एक दूसरे जान भी लेंगे और पहचान भी लेंगे, पहले शादी फिर जान-पहचान। अब तो संजीव परेशान हो गया, फिर उसने कहा शादी के लिए उसके परिवार का होना भी जरुरी है, जिनसे हमे आशीर्वाद लेना होगा, इस पर भूतनी ने कहा, मेरे पापा हैं, हम दोनों उनसे ही आशीर्वाद ले लेंगे।
संजीव की कोई तरकीब नहीं चल रही थी, फिर उसने कहा, तुम भूतनी हो और मैं इंसान भला शादी कैसे होगी? इस पर भूतनी ने कहा शादी से पहले मरना चाहते हो या शादी के बाद, फिर तुम भी भूत बन जाओगे, फिर तो हम दोनों साथ रह सकते हैं। अब तो संजीव ने सोचा उसकी मौत निश्चित है, उसे उस दिन पर गुस्सा आ रहा था, जब उसके दिल में गांव जाने का ख्याल आया था।गांव तो नहीं पहुंचा, लेकिन मौत के करीब जरूर पहुँच गया। उसने कहा शादी मरने से पहले करना है और उसे गांव जा कर अपने माता -पिता से आशीर्वाद लेना है, फिर उसके साथ रहने के लिए वो तैयार है।
भूतनी को उसका विचार अच्छा लगा और वो मान गयी, उसी रात उन दोनों की शादी हो गयी और रात किसी तरह संजीव ने जाग कर बितायी, उसे डर था की कहीं उसकी भूतनी पत्नी उसे जान से ना मार दे। अगली सुबह वो उठ कर घर जाने लगा तो भूतनी ने कहा वो भी साथ चलगी, उसे भी आशीर्वाद लेना है, संजीव उसे मना नहीं कर पाया और दोनों गांव की और चल पड़े। गांव पहुँच कर वो अपने माता-पिता से मिला और कुछ देर के बाद उसने रात की पूरी घटना सुना दी, अब तो उसके माता-पिता भी परेशान हो गए, संजीव की माँ ने पूछा क्या भूतनी अभी यहीं है, इस पर संजीव ने कहा हाँ वो अभी यही है, भूतनी को सिर्फ संजीव ही देख पा रहा था और कोई नहीं?
किसी के समझ में नहीं आ रहा था कि क्या किया जाये? इतने में संजीव के पिता घर से बाहर निकल गए और वो एक तांत्रिक से मिल कर उन्हें सारी बात बताई और अपने घर चलने को कहा तांत्रिक मान गया और उसके साथ चल दिया। घर पहुंचने के बाद भूतनी ने जब तांत्रिक को देखा तो संजीव को बोला की उसने उसके साथ धोखा किया है, इस पर संजीव ने कहा, मुझे नहीं मालूम था की उसके पापा तांत्रिक को ले आएंगे। फिर भूतनी ने जो सच बताया, उसे सुन कर संजीव के आँखों में आँसू आ गए।भूतनी ने बताया की आज उसकी ये हालत इसी तांत्रिक की वजह से हुई है, इसी तांत्रिक ने उसकी हत्या की थी, जिस वजह से आज वो भूतनी बनी है।
सच जान कर संजीव को बहुत गुस्सा आया और उसने तांत्रिक को भगा दिया, अब तो घर के सभी लोग परेशान हो गए और जब संजीव से पूछा तो संजीव ने भूतनी के द्वारा बताई हुई बात बता दी। इस पर उसके पापा ने बोला, तांत्रिक ने तो आज तक किसी की जान नहीं ली, फिर इस लड़की की हत्या कैसे कर सकता है, इस पर भूतनी ने बोला की तुमने मेरे साथ धोखा किया इसलिए उसने भी झूठी कहानी सुना कर उसके साथ धोखा किया, इसे सुन कर संजीव और परेशान हो गया, अब तो उसे लगा की रात में उसकी हत्या होना तय है, क्योंकि भूतनी उसे पाने के लिए उसकी हत्या कर देगी और रात होने वाली थी भूतनी की हंसी चारो तरफ फ़ैल रही थी, जैसे ही वो कोई कदम बढ़ाती, सामने उसे तांत्रिक नजर आया,
तांत्रिक ने कहा उसे पता था कि उसने चाल चली थी, इसलिए वो भी रात होने का ही इंतजार कर रहा था, फिर तो तांत्रिक और भूतनी के बिच जंग छिड़ गयी, भूतनी ने बोला उसे सिर्फ अपना पति चाहिए, लेकिन तांत्रिक ने बोला उसके रहते ऐसा नहीं हो सकता। तांत्रिक ने अपने शक्ति से भूतनी को कैद कर लिया और सुबह भी होने को आयी थी, संजीव वापस दिल्ली की तरफ चल पड़ा। दिल्ली पहुँच कर ही उसके सांस में सांस आयी, भले ही यहाँ उसे शुद्ध हवा ना मिलती ही चारो तरफ इमारते नजर आती हो लेकिन उसे यहाँ भूतनी भी तो नहीं मिली थी,आज वो कहने के लिए शादीशुदा है लेकिन बिना पत्नी के, क्योंकि उसकी जीवन संगनी एक भूतनी थी।
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